ग्राम बघोडा मे मां गायत्री गौशाला में हुआ गोवर्धन पूजन
मुलताई।( ताप्ती अमृत)प्रभात पट्टन तहसील के ग्राम बघोडा मे स्थित मां गायत्री गौशाला में पशुपालन एवं डेयरी विभाग के देखरेख में गोवर्धन पूजा और गौपूजन कार्यक्रम मंगलवार दोपहर 1 बजे आयोजित किया गया।आज गोवर्धन पूजा के पावन अवसर पर एनजीओ साई बहुउद्देशीय प्रशिक्षण संस्था बघोडा द्वारा संचालित गौशाला मां गायत्री गौशाला बघोडा में एक विशेष और अत्यंत श्रद्धापूर्ण आयोजन किया गया। सस्था संचालक श्री कमलेश आदवारे ने बताया कि यह पर्व हमें भगवान श्री कृष्ण और गोवर्धन पर्वत के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर देता है, साथ ही गौ माता के महत्व को भी दर्शाता है। उत्सव का आरंभ:सुबह होते ही गौशाला को फूलों, रंगोली से सजाया गया। उक्त कर्यक्रम मे सभी संस्था कार्यकर्ता, स्थानिय प्रतिनिधि विधायक श्री चंद्रशेखर देशमुख जी, प्रभात पट्टन तहसीलदार श्री राजेश कुमार दुबे जी, मुलताई एस.डी.एम श्री राजीव कहार जी, श्री राजेश पाठक , श्री सतिश धाकड , श्री मंगल नरवरे, पशुपालन विभाग से डां. श्री पवन कुमार कौरेति,श्री सुमरत धुर्वे, ग्राम पंचायत बघोडा से सरपंच श्रीमति सुनंदा महाले सचिव श्री राजुजी झरबडे, गौशाला अध्यक्ष श्री सुभाष गनेशे, संस्था सचिव श्री कमलेश आदवारे, श्री राजु जी सातपुते, श्री नितेश काले, श्री सुभाष लिखितकर, श्री दुर्गादास धोटे, श्री टिकाराम पवार, यादोराव गनेशे, हनुमंत(पिंटु) लिखितकर,श्री सुखदेव परते ग्राम पटवारी, और आसपास के ग्रमिणो ने उत्साहपूर्वक इस कार्यक्रम में भाग लिया।
गौ माता का पूजन:गोवर्धन पूजा में गौधन यानी गायों की पूजा का विशेष महत्व है। सबसे पहले, गौ माता को स्नान कराकर उन्हें सुंदर वस्त्र, माला और आकर्षक श्रृंगार से सजाया गया। उन्हें तिलक लगाया गया और आरती की गई। ऐसा माना जाता है कि गौ माता में सभी देवी-देवताओं का वास होता है, इसलिए उनकी पूजा साक्षात देवी लक्ष्मी की पूजा के समान होती है।
गोवर्धन पर्वत की रचना और पूजा:इसके उपरांत, गौशाला के प्रांगण में गाय के गोबर से पारंपरिक तरीके से गोवर्धन पर्वत की सुंदर आकृति बनाई गई। इसे फूलों, पत्तों और खील-बताशों से अलंकृत किया गया। सभी उपस्थित सदस्यो ने विधि-विधान से गोवर्धन महाराज की पूजा की।
उक्त कार्यक्रम मे संस्था द्वारा संदेश:यह आयोजन केवल एक पूजा नहीं, बल्कि प्रकृति, गौ माता और भगवान श्री कृष्ण के प्रति हमारे गहरे सम्मान और कृतज्ञता का प्रतीक था। गौशाला में गोवर्धन पूजा मनाना इस बात को और भी पुष्ट करता है कि हमें गौ माता की सेवा और संरक्षण के महत्व को कभी नहीं भूलना चाहिए। यह पर्व हमें जीवन में स्थायित्व, समृद्धि और प्रकृति के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने की प्रेरणा देता है।पूरा दिन गौशाला में आध्यात्मिक ऊर्जा और उल्लास का माहौल रहा, जिसने सभी के मन को शांति और आनंद से भर दिया

